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    कार्य

    विधायी विभाग मुख्य रुप से केन्द्र सरकार के लिए सभी मुख्य विधानों अर्थात संसद में पुरःस्थापित किए जाने वाले विधेयकों, राष्ट्रपति महोदय द्वारा प्रख्यापित किए जाने वाले अध्यादेशों, राष्ट्रपति शासन के अधीन स्थित राज्यों के लिए राष्ट्रपति के अधिनियमों के रुप में अधिनियमित किए जाने वाले विधानों तथा संघ राज्य क्षेत्रों के लिए राष्ट्रपति दवारा लागू किए जाने वाले विनियमों का प्रारुप तैयार करने से संबंधित कार्य करता है। यह विभाग निर्वाचन कानूनों अर्थात लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 से संबंधित कार्य भी करता है। इसके अतिरिक्त, इस विभाग को संविधान की सातवीं अनुसूची में अन्तर्निहित सूची ।।। से संबंधित कतिपय मामलों जैसे कि स्वीय कानून, संविदा साक्ष्य, आदि जैसे मामलों को देखने का भी कार्य सौंपा गया है। इस विभाग का उत्तरदायित्व संसद द्वारा अधिनियमित संविधियों को अद्यतन बनाये रखने का भी है।

    विधायी विभाग के अनुभागों के कार्य (मुख्य)

     प्रशा. । अनुभाग

    विधायी विभाग और राजभाषा खण्ड के कर्मचारियों और अधिकारियों के स्थापना संबंधी सभी मामले।
    निर्वाचन आयोग के समूह ‘क’ अधिकारियों के स्थापना संबंधी मामले। संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासनों के निर्वाचन विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थापना संबंधी मामले।

     प्रशा ।। अनुभाग

    समूह ‘घ’ कर्मचारियों के स्थापना संबंधी मामले, केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सी.जी.एच.एस) और चिकित्सीय परिचर्या नियमों तथा चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति। कार्यालय एवं आवासीय स्थान का आवंटन।

     बजट एवं लेखा और एकीकृत वित्त अनुभाग

    व्यय के संबंध में बजट अनुमान, संशोधित अनुमान और अंतिम अनुमान, अनुदान मांग, अनुदान से संबंधित विनियोजन लेखे के संबंध में वार्षिक रिपोर्ट समन्वय, संविधिक लेखा-परीक्षा तथा आंतरिक लेखा परीक्षा एवं लेखाओं की जांच। नए पदों के सृजन तथा विद्यमान पदों को जारी रखने के लिए प्राप्त प्रस्तावों की संवीक्षा। शक्तियों का प्रत्यायोजन।

     रोकड़ अनुभाग

    वेतन का भुगतान और अग्रिम राशि की मंजूरी, आदि।

     शुद्धि अनुभाग

     

    सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के अधिनियमों, अध्यादेशों और विनियमों से युक्त संहिताओं और पूरक विधानों को अद्यतन करना। सभी राजपत्र नियमों, आदेशों और अधिसूचनाओं का चिह्नन और संवीक्षा।

     जी.एस.आर.ओ अनुभाग

    अधिनियमों के अंतर्गत निर्मित किए गए सामान्य कानूनी नियमों और आदेशों का इंडिया कोड में संकलन।

     विधायी । अनुभाग

    विधेयक, अध्यादेशों आदि के प्रारुपण के लिए प्राप्त विधायी प्रस्तावों की जांच करना। अनुच्छेद
    110,117(।),117(3), आदि के तहत राष्ट्रपति की सिफारिश की आवश्यकता से संबंधित विधान
    तथा संविधान संशोधन विधेयकों के लिए प्राप्त प्रस्तावों की जाँच।

     विधायी ।। एवं संसद अनुभाग

    संसद के लिए निर्वाचन- आम चुनाव, उपचुनाव, लोकसभा/राज्यसभा, राष्ट्रपति/ उपराष्ट्रपति चुनाव। निर्वाचन कानून एवं नियम, गैर सरकारी सदस्य विधेयकों की जांच करना तथा सांसदों और विधायकों की अयोग्यता के संबंध में राष्ट्रपति सचिवालय से प्राप्त संदर्भो की जांच करना और मसौदा आदेशों को राष्ट्रपति महोदय के विचारार्थ प्रस्तुत करना

     विधायी ।।। अनुभाग

    स्वीय कानूनों सहित भारत के संविधान की सांतवी अनुसूची की समवर्ती सूची में प्रविष्टि संख्या 5,6,7,8,9,10,11,12,13, और 28 से संबंधित मामले। लाभ का पद।

     मुद्रण अनुभाग

    केन्द्रीय विधेयकों की पांडुलिपियों का संपादन।

     प्रकाशन अनुभाग

    प्रशासन- इंडिया कोड का संशोधित संस्करण; भारत का संविधान, निर्वाचन कानूनों से संबंधित मैनुअल, आदि।

    राजभाषा खण्ड के कार्य

    विधायी विभाग का राजभाषा खंड मानक विधि शब्दावली तैयार करने और प्रकाशित करने और राजभाषा अधिनियम, 1963 के अधीन यथाअपेक्षित संसद में पुरःस्थापित किए जाने वाले सभी विधेयकों, सभी केन्द्रीय अधिनियमों, अध्यादेशों, अधीनस्थ विधानों आदि का हिन्दी में अनुवाद करने के लिए उत्तरदायी है। यह खण्ड प्राधिकृत पाठ (केन्द्रीय विधि) अधिनियम, 1973 के अधीन यथाअपेक्षित संविधान की आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट राजभाषाओं में केन्द्रीय अधिनियमों, अध्यादेशों आदि के अनुवाद की व्यवस्था करने के लिए भी उत्तरदायी है। राजभाषा खण्ड, हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के संवर्धन और प्रसार में लगे विभिन्न रजिस्ट्रीकृत स्वैच्छिक संगठनों और ऐसे संगठनों को, जो प्रत्यक्ष रुप से विधिक साहित्य के प्रकाशन और विधि के क्षेत्र में हिन्दी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के प्रसार में लगे है, सहायता अनुदान भी जारी करता है।

    विधि साहित्य प्रकाशन के कार्य

    विधि साहित्य प्रकाशन प्रमुख रुप से उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के प्रतिवेद्य निर्णयों के प्राधिकृत हिन्दी पाठ प्रकाशित करने से संबद्ध हैं, जिसका उद्देश्य विधि के क्षेत्र में हिन्दी के प्रगामी प्रयोग का संवर्धन करना है। इस संबंध में, विधि साहित्य प्रकाशन हिन्दी में विधि साहित्य के विभिन्न प्रकाशन निकालता है। हिन्दी में उपलब्ध विधि साहित्य के व्यापक प्रचार एवं विक्रय के संवर्धन हेतु यह विभिन्न राज्यों में प्रदर्शनियां भी लगाता है।